दूसरे टेस्ट के पहले दिन: यशस्वी जायसवाल की शानदार 173 रन की पारी ने भारत को मज़बूत स्थिति में पहुंचाया!

दूसरे टेस्ट के पहले दिन (शुक्रवार) यशस्वी जायसवाल ने सटीक ड्राइव, दमदार कट और मजबूत डिफेंस के दम पर कमज़ोर वेस्टइंडीज़ आक्रमण की जमकर खबर ली। उन्होंने एक और “डैडी हंड्रेड” जमाते हुए भारत को 2 विकेट के नुकसान पर 318 रन तक पहुंचा दिया।

जायसवाल की नाबाद 173 रन की पारी (253 गेंदों पर) ने उनके असाधारण कौशल के हर पहलू को उजागर किया। जब स्टंप्स हुए, तब कप्तान शुभमन गिल (20*) उनके साथ क्रीज़ पर मौजूद थे।

जायसवाल की बल्लेबाज़ी में ऐसी नफ़ासत थी कि उनकी एक भी बाउंड्री जबरदस्ती मारने जैसी नहीं लगी। उनकी यह 173 रन की पारी, जिसमें 22 चौके शामिल थे, कंट्रोल और टाइमिंग का शानदार नमूना रही। जिस तरह उन्होंने धैर्य के साथ खेल को संचालित किया, उसी का असर युवा बल्लेबाज़ साई सुदर्शन (87) पर भी दिखा। वह अपने पहले टेस्ट शतक से सिर्फ़ 13 रन दूर रह गए।

223 रन की साझेदारी के दौरान इन दो 23 वर्षीय बल्लेबाज़ों ने साबित किया कि सुदर्शन को टेस्ट टीम में नंबर तीन पर लंबे समय तक खेलने का फैसला सही था। बिना जोर लगाए सुदर्शन ने धीमे हाथों से गेंद को बाउंड्री तक भेजा।

उन्हें तब आउट दिया गया जब लेफ्ट आर्म स्पिनर जोमेल वॉरिकन ने उन्हें लेग-बिफोर पकड़ा। गेंद ने तेजी से टर्न ली और अंदर आई। तब तक तमिलनाडु के इस बल्लेबाज़ ने अपने आलोचकों को शांत कर दिया था। गिल भी क्रीज़ पर संयमित दिखाई दिए और अहमदाबाद में शतक से चूकने के बाद इस बार कुछ बड़ा करने को बेताब दिखे।

जहाँ तक गेंदबाज़ी की बात है, वेस्टइंडीज़ ने पहले एक घंटे तक अनुशासन दिखाया लेकिन अगले पाँच घंटे बिखर गए। पहले दिन उन्होंने इतने ढीले गेंदें फेंकीं कि भारतीय बल्लेबाज़ों ने कुल 43 बाउंड्री (एक छक्का समेत) जड़ दिए। जायसवाल ने तेज़ और स्पिन – दोनों तरह की गेंदबाज़ी के सामने कमाल का नियंत्रण दिखाया।

जेडन सील्स और एंडरसन फिलिप्स ने उन्हें कई फुलटॉस और हाफ-वॉली दीं, जिनका हश्र तय था। स्पिनर्स की ओर से या तो हाफ-ट्रैकर मिले या बाहर की ओर ढीली गेंदें। कई बार ऐसा लगा जैसे फील्डर ने पीछा करना बीच में ही छोड़ दिया हो।

भारतीय बल्लेबाज़ों ने खैरी पियरे और रोस्टन चेज़ की गेंदबाज़ी को आसानी से खेला। हालांकि वॉरिकन ने कुछ अच्छी गेंदें डालीं, जिनसे केएल राहुल (38) और सुदर्शन के विकेट गिरे। जायसवाल की पारी की ख़ासियत यह रही कि उन्होंने अपने हर पचास रन किस लय में पूरे किए।

सैकड़ा पूरा करने के बाद उन्होंने फील्ड सेटिंग्स पर पकड़ रखते हुए बिना जोखिम लिए 100 से 150 तक (79 गेंदों में) तेज़ी से रन जुटाए। पहला पचास सावधानी के साथ 82 गेंदों में आया, जबकि अगला 50 नियंत्रित आक्रामकता के साथ 63 गेंदों में।

कोटला में बल्लेबाज़ी का लुत्फ उठाने आए दर्शकों को उनके शॉट्स ने मंत्रमुग्ध किया, खासकर स्क्वायर कट और बैकफुट कट ने। सील्स के खिलाफ घुटना मोड़कर खेला गया कॉपीबुक कवर ड्राइव तो दिन के अंत में एक परफेक्ट तस्वीर बन गया।

सुदर्शन की 12 चौकों में ज़्यादातर गेंदें ‘वी’ शेप में गईं—कवर ड्राइव और ऑन ड्राइव दोनों कमाल के थे।

राहुल शायद दिन के एकमात्र बल्लेबाज थे जो निराश हुए होंगे, क्योंकि वे दिन की सर्वश्रेष्ठ गेंद पर आउट हुए।

वॉरिकन ने अचानक गेंद की लेंथ छोटी कर दी और रफ्तार बदली। राहुल क्रीज़ से बाहर आए और तेज़ टर्न लेते हुए गेंद ने उनका बाहरी किनारा मात दिया। शतक का मौका हाथ से निकल गया।