
कुछ लोग तब चौंक गए जब रविंद्र जडेजा को ऑस्ट्रेलिया दौरे के लिए भारत की ODI टीम में शामिल नहीं किया गया, लेकिन अनुभवी ऑलराउंडर खुद आश्चर्यचकित नहीं थे क्योंकि चयन समिति और टीम प्रबंधन ने उनसे “बातचीत” की थी और साफ कर दिया था कि वे इस समय उन्हें शामिल नहीं कर सकते।
जडेजा ने कहा कि अगर मौका मिला तो वे 2027 विश्व कप खेलना चाहेंगे, क्योंकि 50 ओवर का वैश्विक टूर्नामेंट उनके लिए अभी भी “अधूरा काम” है, खासकर 2023 के फाइनल में ऑस्ट्रेलिया से हुई निराशाजनक हार के बाद।
उन्होंने कहा, “ये मेरे हाथ में नहीं है लेकिन मैं 2027 विश्व कप खेलना चाहता हूँ। टीम मैनेजमेंट, चयनकर्ताओं के दिमाग में कुछ तो सोच होगी कि मुझे ऑस्ट्रेलिया ODI के लिए क्यों नहीं चुना गया।”
दूसरे टेस्ट के दूसरे दिन (वेस्टइंडीज के खिलाफ) के बाद जडेजा ने यह बात दिल्ली में कही।
मुख्य चयनकर्ता अजीत आगरकर के अनुसार, जडेजा को इसलिए नहीं चुना गया क्योंकि सिर्फ तीन मैचों की सीरीज़ के लिए दो लेफ्ट-आर्म पारंपरिक स्पिनर (अक्षर पटेल पहले से चयनित) का चयन उन्हें उचित नहीं लगा।
जडेजा इस बात से खुश थे कि सेलेक्टर्स और टीम मैनेजमेंट ने उनसे पहले ही बात कर ली थी। उन्होंने भले ही उस बातचीत की डिटेल्स न बताई हों, लेकिन उन्होंने साफ किया कि कप्तान शुभमन गिल, हेड कोच गौतम गंभीर और आगरकर ने उन्हें स्थिति समझाई थी।
उन्होंने कहा, “उनके पास जरूर कोई वजह होगी और उन्होंने मुझसे बात की थी। ऐसा नहीं हुआ कि टीम आने के बाद मुझे पता चला और मैं चौंक गया।
अच्छी बात ये रही कि कप्तान, सेलेक्टर और कोच ने बताया कि उनकी सोच क्या है और वजह क्या है, इससे मैं खुश हूँ। जब भी मौका मिलेगा, मैं परफॉर्म करने की कोशिश करूँगा।”
उन्होंने यह भी कहा कि 2027 विश्व कप से पहले जो ODI मैच खेले जाएंगे, वे उनकी संभावनाएँ तय करेंगे।
जडेजा बोले, “अगर मुझे विश्व कप खेलने का मौका मिला, तो वह इस बात पर निर्भर करेगा कि उससे पहले होने वाले मैचों में मैं कैसा प्रदर्शन करता हूँ। पिछली बार हम बहुत करीब आकर चूक गए थे, इसलिए यह मेरे लिए अधूरा काम है।”
शुभमन गिल के डिप्टी ऋषभ पंत के चोटिल होने के कारण वेस्टइंडीज सीरीज़ के लिए जडेजा उपकप्तान बनाए गए हैं। मैचों के दौरान वे कई बार फील्ड सेट करते भी दिखे, जब गिल थोड़ी देर के लिए बाहर गए।
जब उनसे पूछा गया कि क्या कप्तानी का विचार कभी उनके दिमाग में आता है, तो उन्होंने साफ कहा — “मैं कप्तानी के बारे में नहीं सोचता। वो समय अब निकल चुका है।”
36 साल के जडेजा, जो टीम के सबसे वरिष्ठ खिलाड़ियों में हैं, युवा खिलाड़ियों के मेंटर की भूमिका को लेकर सहज हैं।
उन्होंने कहा, “मैं टीम के लिए उपलब्ध हूँ। जैसे कोई युवा आकर मुझसे बात करे — कुलदीप आता है और गेंदबाज़ी के कुछ पहलुओं पर पूछता है तो मैं बताता हूँ।
बल्लेबाज़ी में जायसवाल आता है, तो मैं उसे परिस्थितियों के हिसाब से मानसिकता के बारे में बताता हूँ।
कभी कप्तानी का नहीं सोचा, जो है उसमें खुश हूँ — अपना काम करता हूँ और घर जाता हूँ।”
जब गिल की कप्तानी पर राय पूछी गई, तो जडेजा ने वरिष्ठ की तरह जवाब दिया — “कप्तान के रूप में वो अच्छा कर रहे हैं, तो टीम को बहुत मदद मिल रही है। जब कप्तान परफॉर्म करता है, तो पूरी टीम का मनोबल बढ़ता है। उसने इंग्लैंड में अच्छा किया और यहां भी पहले मैच में फिफ्टी लगाई।”
उन्होंने युवा खिलाड़ियों के योगदान की भी तारीफ की।
“सबसे अच्छी बात ये है कि नई पीढ़ी ज़िम्मेदारी ले रही है। जायसवाल ने पिछले दो साल में बहुत रन बनाए हैं। ये युवा खिलाड़ी सिर्फ जिम्मेदारी नहीं ले रहे, बल्कि दूसरों पर छोड़ भी नहीं रहे।”
जडेजा के अनुसार, गिल अब तक सात टेस्ट में कप्तानी कर चुके हैं, और उनकी बैटिंग की निरंतरता ने इसे आसान बनाया है।
उन्होंने जायसवाल की बल्लेबाज़ी को लेकर भी तारीफ की — “जायसवाल बहुत समझदार है। उसे पता होता है कब हमला करना है, किसे निशाना बनाना है और कौन सा शॉट खेलना है। उसकी ये प्लानिंग उसे सफल बनाती है और वह बड़ी पारियाँ खेल पाता है।”
टेस्ट में जडेजा के नाम छह शतक और पंद्रह पाँच-विकेट हॉल दर्ज हैं।
जब उनसे पूछा गया कि बल्लेबाज़ी और गेंदबाज़ी में कैसे संतुलन रखते हैं, तो उन्होंने अपने देसी अंदाज़ में कहा — “बैटिंग विकेट पे मैं बल्लेबाज़ हूँ और बॉलिंग विकेट पे गेंदबाज़। मुझे तो टीम में बने रहना है।”
स्पष्ट है कि न्यूज़ीलैंड के खिलाफ पिछले साल जिस तरह रैंक टर्नर्स पर खेलने की योजना फेल हुई और WTC फाइनल हाथ से गया, उसके बाद वेस्टइंडीज सीरीज़ में ऐसी पिच नहीं मांगी गई।
जडेजा ने कहा कि कोटला की पिच पर गेंदबाज़ी के लिए कंधे का ज्यादा इस्तेमाल और मेहनत की जरूरत है। दूसरे दिन तीन विकेट लेने के बावजूद उन्हें सतह से शिकायत नहीं थी।
उन्होंने बताया — “हमें सिर्फ स्लो टर्नर ही चाहिए था, रैंक टर्नर नहीं। हम यही उम्मीद कर रहे थे कि मैच बढ़ेगा तो धीरे-धीरे टर्न मिलेगा।”
उनके अनुसार धीमी पिच और गेंद की रफ्तार कम होने से बल्लेबाज़ बैकफुट पर खेल पा रहे हैं।
उन्होंने समझाया — “बाउंस कम है और टर्न भी ज़्यादा नहीं है। गेंद की रफ़्तार कम होने से बल्लेबाज आसानी से एडजस्ट कर लेता है और बैकफुट पर खेल लेता है। इसलिए कभी हवा में गेंद तेज डालनी पड़ती है।”
इसके बाद गिल और जायसवाल के बीच रन आउट वाली बहस पर भी उन्होंने सफाई दी — “वो गलतफहमी थी, ऐसा हो जाता है। स्ट्राइकर को लगा रन है, नॉन-स्ट्राइकर को नहीं लगा। लेकिन अच्छी बात ये थी कि उस वक्त हम मज़बूत स्थिति में थे।”








