क्यों ईशान किशन टीम इंडिया की भविष्य योजनाओं में बने हुए हैं अहम!

चाहे वह किसी भी स्तर की क्रिकेट खेल रहे हों, ईशान किशन की नज़र हमेशा मौक़े को भुनाने पर रहती है। अपने आक्रामक खेल के लिए मशहूर किशन इस समय रणजी ट्रॉफी 2025–26 सीज़न में झारखंड की कप्तानी कर रहे हैं।

अपने अभियान के पहले दिन उन्होंने तमिलनाडु के खिलाफ संकट में घिरी टीम के लिए शतक जड़कर कमाल किया। कोयंबटूर की हरियाली से भरी पिच पर जब झारखंड की टॉप ऑर्डर लड़खड़ाई, तब किशन ने अपनी नौवीं प्रथम श्रेणी सेंचुरी लगाते हुए टीम को संभाला।

पहले दिन का खेल खत्म होने तक 27 वर्षीय विकेटकीपर बल्लेबाज़ 125 रन (183 गेंद) बनाकर नाबाद लौटे। साहिल राज के साथ सातवें विकेट के लिए 150 रनों की अविजित साझेदारी कर झारखंड को 307/6 तक पहुंचाया।

ESPNcricinfo से बात करते हुए किशन ने कहा, “इस स्टेज पर मुझे बहुत समझदारी दिखानी होगी। आपको रणजी ट्रॉफी की अहमियत समझनी होती है। बड़ी टीमों के खिलाफ खेलने का महत्व जानना होता है।”

लंच के बाद जब झारखंड का स्कोर 79/3 था, तब किशन नंबर 5 पर उतरे और अगले दो सत्रों में मोर्चा संभाल लिया। अपनी पहचान के विपरीत आक्रामकता छोड़ उन्होंने धैर्य और संयम दिखाया। ज़रूरत के मुताबिक दो छक्कों के अलावा उन्होंने बड़े शॉट्स नहीं लगाए।

किशन ने कहा, “करियर की शुरुआत में आप बहुत गलतियां करते हैं, बाद में जाकर अनुभव का असली मायना समझ आता है। मैदान में टिके रहना जरूरी है, तभी आप मैच बदल सकते हैं। जब लेफ्ट आर्म स्पिनर गेंदबाज़ी कर रहा था, मैं हवा तक चेक कर रहा था। मैं उस पर हमला करना चाहता था, लेकिन स्कोरबोर्ड देख लगा कि छह विकेट गिरने के बाद ऐसा करना सही नहीं है। ईरानी कप और अब रणजी में मैंने संयम सीखा, क्योंकि मैं यहां एकमात्र भारतीय खिलाड़ी हूं और अनुभवी भी।”

उन्होंने आगे कहा, “मेरा काम था कि हम दिन का खेल बल्लेबाज़ी करते हुए खत्म करें। मैं सच में छक्के मारना चाहता था, पर हालात ने दूसरा रास्ता चुना। यह सब अनुभव से आता है। जब आप काफी मैच खेलते हैं तो समझ आता है कि कई बार सिंगल्स छह रन से ज्यादा अहम होते हैं। साझेदारी जरूरी थी ताकि उनके गेंदबाज़ थकें।”

इस साल की शुरुआत में ऋषभ पंत के पैर की चोट के बाद किशन को इंग्लैंड के खिलाफ पांचवें टेस्ट के लिए विकल्प माना गया था। नॉटिंघमशायर के लिए उन्होंने दो पारियों में 77 और 87 रन बनाए जो उनके लिए अच्छा संकेत था।

इसी दौरान इंग्लैंड में ई-बाइक हादसे में उन्हें चोट लगी, जिसके चलते चयनकर्ताओं ने तमिलनाडु के एन जगदीशन को कवर के रूप में चुना। अब किशन एक बार फिर टीम इंडिया में वापसी की दहलीज़ पर हैं, लेकिन वे कोई लक्ष्य तय करने के पक्ष में नहीं हैं। उनका ध्यान सिर्फ मौके का पूरा इस्तेमाल करने पर है।

किशन ने कहा, “जब भी मैं किसी टारगेट के साथ जाता हूं, मेरा खेल बिगड़ जाता है। मैं फिर कुछ ऐसा कर देता हूं जो जरूरी नहीं होता। इसलिए इस सीज़न कोई लक्ष्य नहीं रखना है। बस बल्लेबाज़ी करते रहना है। अगर आप क्रीज़ पर हो तो जितने रन चाहिए उतने बना लोगे। बस यही मेरा एकमात्र लक्ष्य है।”