
भारतीय टेस्ट कप्तान शुभमन गिल ने मंगलवार को कहा कि कप्तानी की भूमिका में ढलने के साथ उन्होंने बिना हिचक “बोल्ड फैसले” लेना सीख लिया है, ताकि खिलाड़ियों से सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन निकलवाया जा सके।
दिल्ली में मंगलवार को भारत ने दूसरा टेस्ट सात विकेट से जीतकर वेस्टइंडीज़ का 2-0 से क्लीन स्वीप किया। इंग्लैंड के खिलाफ पाँच मैचों की सीरीज़ (जो 2-2 से ड्रॉ रही) शुभमन की कप्तान के तौर पर पहली बड़ी परीक्षा थी।
गिल ने कहा, “मैच की स्थिति को देखते हुए मैं वही फैसला लेने की कोशिश करता हूँ जो सबसे बेहतर हो। कभी-कभी आपको थोड़ा बोल्ड होना पड़ता है—यह इस पर निर्भर करता है कि कौन सा खिलाड़ी आपको रन या विकेट दिला सकता है।”
26 वर्षीय गिल ने अपनी कप्तानी को लेकर कहा,
“मैं धीरे-धीरे इस भूमिका में सहज हो रहा हूँ। इस टीम के सभी खिलाड़ियों को मैनेज करना अब थोड़ा आसान लगने लगा है।”
उन्होंने आगे कहा, “मुझे ज़िम्मेदारी लेना पसंद है। मैं वही करता हूँ जो मुझे सही लगता है। अहम फैसलों में शामिल रहना मुझे अच्छा लगता है और मुझे लगता है कि इससे मेरा सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन बाहर आता है—शायद यही मेरी ज़िंदगी में अभी हो रहा है।”
दूसरे टेस्ट में फॉलो-ऑन के फैसले पर यह आरोप लगा कि इससे गेंदबाजों पर अतिरिक्त दबाव पड़ा, जिस पर गिल ने सफाई दी: “हम लगभग 300 रन आगे थे और पिच काफी मरी हुई थी। हमने सोचा कि अगर हम 500 तक भी पहुंचते, तो पाँचवें दिन 6-7 विकेट निकालना मुश्किल हो सकता था। यही सोचकर फॉलो-ऑन कराया।”
दो टेस्ट में एक शतक और एक अर्धशतक जड़ने वाले गिल ने कहा कि उन्हें बैटिंग और कप्तानी को अलग रखना पड़ता है।
उन्होंने कहा, “जब मैं बल्लेबाजी करने जाता हूँ, तो मैं सिर्फ बल्लेबाज़ होता हूँ। मैं बचपन से बल्लेबाजी कर रहा हूँ, तो मैदान पर जाते ही मेरा पूरा ध्यान उसी पर होता है। एक ही सोच रहती है—टीम को मैच कैसे जिताया जाए।”
सीम-बॉलिंग ऑलराउंडर नितीश रेड्डी को नंबर 5 पर बल्लेबाजी भेजने के फैसले पर उन्होंने कहा, “उन्हें इस मैच में गेंदबाजी का मौका नहीं मिला, लेकिन हम ऐसे खिलाड़ियों को सिर्फ विदेशी दौरों पर ही नहीं खिलाना चाहते। इससे उन पर दबाव बढ़ता है। हम उन्हें अभी से तैयार करना चाहते हैं ताकि वे बाहर जाकर भी टीम को मैच जीताने में मदद कर सकें—क्योंकि वही हमारे लिए सबसे बड़ी चुनौती रही है।”








