रोहित शर्मा ने बताया टेस्ट क्रिकेट के मानसिक दबाव से कैसे निपटे….

पूर्व भारतीय कप्तान रोहित शर्मा ने सोमवार को कहा कि उन्होंने पारंपरिक प्रारूप (टेस्ट क्रिकेट) की चुनौतियों से निपटना तैयारी पर ध्यान केंद्रित करके सीखा, लेकिन उन्होंने यह भी माना कि यह “मानसिक रूप से बेहद चुनौतीपूर्ण और थका देने वाला” होता है।

38 वर्षीय रोहित ने मई में टेस्ट क्रिकेट से संन्यास ले लिया था, लगभग एक साल पहले ही उन्होंने टी20 इंटरनेशनल करियर को भी अलविदा कह दिया था। अपने टेस्ट करियर में उन्होंने 67 मैचों में 4301 रन बनाए, औसत रहा 40.58। टी20 से संन्यास लेने से पहले उन्होंने भारत को जून 2024 में आईसीसी टी20 वर्ल्ड कप जिताया था।

मुंबई में एक कार्यक्रम के दौरान पैनल चर्चा में रोहित ने कहा – “यह सब तैयारी पर निर्भर है, क्योंकि खेल आपसे लंबी अवधि तक टिके रहने की मांग करता है। खासकर टेस्ट क्रिकेट में, जहाँ पाँच दिन तक खेलना होता है। मानसिक रूप से यह बहुत कठिन और थका देने वाला होता है। लेकिन सभी क्रिकेटर फर्स्ट क्लास क्रिकेट खेलते हुए ही बड़े होते हैं।

जब हम प्रतिस्पर्धी क्रिकेट खेलना शुरू करते हैं, तो मुंबई में भी क्लब क्रिकेट के मैच दो-दो या तीन-तीन दिन चलते हैं। तो हमारी मानसिकता बचपन से ही वैसी बन जाती है और यह हमें मुश्किल हालात का सामना करने में थोड़ी आसानी देती है।”

रोहित के अनुसार, युवा खिलाड़ी शुरुआत में तैयारी के महत्व को नहीं समझते, लेकिन समय के साथ उनकी समझ विकसित होती है।

उन्होंने कहा – “जब मैंने क्रिकेट खेलना शुरू किया था तो यह सब मज़े लेने और खेल का आनंद उठाने के लिए था। लेकिन जैसे-जैसे आप आगे बढ़ते हैं, उम्र-स्तरीय क्रिकेट खेलते हैं, सीनियर खिलाड़ियों और कोच से मिलते हैं, तब समझ आता है कि तैयारी कितनी ज़रूरी है।

बहुत छोटी उम्र में आपको इसकी अहमियत नहीं पता होती, लेकिन धीरे-धीरे आप सीख जाते हैं। यह खेल एक अनुशासन मांगता है और तैयारी ही आपको वही अनुशासन सिखाती है।”

रोहित ने बताया कि टेस्ट क्रिकेट में अच्छा प्रदर्शन बनाए रखने के लिए मानसिक रूप से तरोताज़ा रहना बेहद ज़रूरी है।

“लंबे प्रारूप में खेलते समय बहुत कुछ देना पड़ता है और यहाँ एकाग्रता सबसे बड़ी कुंजी है। क्योंकि जब आप उच्च स्तर का प्रदर्शन करना चाहते हैं, तो आपको हर समय मानसिक रूप से फ्रेश रहना होगा।

पीछे बहुत काम करना पड़ता है, और जैसा मैंने कहा – सब तैयारी से शुरू होता है। आप खुद को मैदान पर लंबे समय तक टिकने के लिए तैयार करते हैं।”

रोहित ने कहा कि उनके साथ भी यही हुआ, जैसे-जैसे करियर आगे बढ़ा, उनकी सोच भी बदल गई और उन्होंने बारीकी से तैयारी पर ध्यान देना शुरू कर दिया।

उन्होंने कहा – “मुंबई के लिए खेलने से लेकर भारत के लिए खेलने तक, मेरा ज़्यादातर ध्यान इस बात पर रहता था कि मैच से पहले मैं कैसी तैयारी करता हूँ।

क्योंकि जब मैच शुरू होता है, तो सब प्रतिक्रिया पर निर्भर करता है – चाहे वह दबाव की स्थिति हो, सही निर्णय लेना हो, बल्ले से या गेंद से जवाब देना हो।

इसलिए मैंने अपना ज़्यादा समय तैयारी को दिया। और मेरा मानना है कि सिर्फ़ क्रिकेट में ही नहीं, बल्कि ज़िंदगी की हर चीज़ में सफलता की कुंजी तैयारी ही है।”