क्यों सुरेश रैना चाहते हैं कि विराट कोहली और रोहित शर्मा वनडे खेलते रहें!

पूर्व भारतीय क्रिकेटर सुरेश रैना के मुताबिक, भारतीय वनडे टीम में विराट कोहली और रोहित शर्मा दोनों का बने रहना जरूरी है, क्योंकि उनका लंबा अनुभव उन खिलाड़ियों के लिए मददगार साबित हो सकता है जो आने वाले समय में नेतृत्व की जिम्मेदारी संभालेंगे।

दोनों दिग्गज खिलाड़ियों का भविष्य अभी अनिश्चित है। इस साल की शुरुआत में टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेने और मार्च में भारत को चैंपियंस ट्रॉफी जिताने के बाद से न तो रोहित और न ही कोहली ने कोई अंतरराष्ट्रीय मैच खेला है।

लेकिन रैना के अनुसार, वनडे सेटअप में उनकी मौजूदगी टीम के लिए बेहद फायदेमंद हो सकती है।

रैना ने टेलीकॉम एशिया स्पोर्ट से कहा, “रोहित और विराट का अनुभव बहुत अहम है। सीनियर्स का जूनियर्स के साथ जुड़े रहना जरूरी है। शुभमन (गिल) ने अच्छा प्रदर्शन किया है, लेकिन उसे विराट और रोहित जैसे खिलाड़ियों की जरूरत है।”

“उन्होंने चैंपियंस ट्रॉफी जीती है, वर्ल्ड कप जीते हैं। विराट ने पिछला आईपीएल भी जीता। अपने करियर में जो समझदारी भरी कप्तानी उन्होंने दिखाई है, उसकी वजह से उन्हें ड्रेसिंग रूम का हिस्सा बने रहना चाहिए,” उन्होंने जोड़ा।

यह अटकलें हैं कि दोनों सीनियर खिलाड़ी इस साल के अंत में ऑस्ट्रेलिया दौरे पर होने वाली तीन वनडे मैचों की सीरीज़ में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में वापसी कर सकते हैं, जबकि एशिया कप (टी20 प्रारूप) नजदीक है।

इसके अलावा, रैना ने इंग्लैंड के खिलाफ हाल ही में हुई टेस्ट सीरीज़ में मोहम्मद सिराज के शानदार प्रदर्शन की भी तारीफ की। पूर्व भारतीय बल्लेबाज़ के अनुसार, हैदराबाद के इस पेसर ने सभी प्रारूपों में अपनी जगह पक्की कर ली है।

रैना ने कहा, “सिराज को सभी तीनों प्रारूपों में भारतीय टीम का हिस्सा होना चाहिए, जिस तरह उसने सफेद गेंद और लाल गेंद दोनों से देश के लिए प्रदर्शन किया है। उसने सीरीज़ में 187 ओवर डाले और बिना किसी चोट के खेले।”

सिराज की दबाव में प्रदर्शन करने और अलग-अलग प्रारूपों में लगातार अच्छा खेलने की क्षमता उन्हें भारत के सबसे भरोसेमंद गेंदबाज़ों में से एक बनाती है। रैना का मानना है कि सभी प्रारूपों में उसकी मौजूदगी टीम के तेज़ गेंदबाज़ी आक्रमण को गहराई और संतुलन देगी।

रोहित और विराट जैसे अनुभवी लीडर्स और गिल व सिराज जैसे उभरते सितारों का संयोजन आने वाले वर्षों में टीम की निरंतर सफलता के लिए अहम हो सकता है, क्योंकि भारत पीढ़ीगत बदलाव को संभालने की कोशिश कर रहा है।