सचिन तेंदुलकर ने इंग्लैंड के खिलाफ शुभमन गिल की निरंतरता और अनुशासन की सराहना की!

महान क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर के अनुसार, भारतीय कप्तान शुभमन गिल इंग्लैंड के खिलाफ ऐतिहासिक 754 रन बनाने के दौरान अपने सोच-विचार में बेहद स्थिर रहे और सबसे खास बात यह रही कि उन्होंने “अच्छी गेंदों” का पूरा सम्मान किया।

हालांकि गिल के 754 रन सुनील गावस्कर के द्विपक्षीय टेस्ट सीरीज में बनाए गए 774 रनों के रिकॉर्ड से पीछे रह गए, लेकिन उन्होंने एक सीरीज में भारत के कप्तान के रूप में गावस्कर के 732 रनों के रिकॉर्ड को पार कर लिया।

इस समय शुभमन गिल टेस्ट सीरीज में सर्वाधिक रन बनाने वाले कप्तानों की सूची में सर डॉन ब्रैडमैन (810 रन) के बाद दूसरे नंबर पर हैं।

सचिन ने कहा, “शुभमन ने पूरी सीरीज में शानदार बल्लेबाज़ी की। वह शांत, संयमित और व्यवस्थित नज़र आए।”

उन्होंने आगे कहा, “गुणवत्तापूर्ण बल्लेबाज़ी के लिए आपके पास स्पष्ट सोच और एक ठोस योजना होनी चाहिए – कि आप अपनी पारी कैसे बनाएंगे – और इस मामले में शुभमन बेहद स्थिर नज़र आए। यह उनकी फुटवर्क में साफ झलकता था।”

“अगर आपके दिमाग में स्पष्टता नहीं होती, तो शरीर भी वैसा ही व्यवहार करता है। लेकिन शुभमन का शरीर शानदार तरीके से प्रतिक्रिया दे रहा था। वह गेंद को खेलने के लिए पूरी तरह तैयार और नियंत्रण में लग रहे थे।”

तेंदुलकर ने गिल की “अच्छी गेंदों के प्रति सम्मान” को उनकी बल्लेबाज़ी का एक अहम पहलू बताया।

उन्होंने कहा, “जो बात सबसे ज़्यादा प्रभावित करने वाली लगी, वह यह थी कि उन्होंने अच्छी गेंदों का सम्मान किया। कई बार बल्लेबाज़ आगे बढ़कर हर गेंद को खेलने की कोशिश करते हैं, लेकिन शुभमन ने संयम दिखाया और लगातार आगे के पैर पर अच्छी तरह डिफेंस किया।”

“अगर आप उनकी पूरी सीरीज की बल्लेबाज़ी देखें, तो उनकी फ्रंट फुट डिफेंस बहुत मज़बूत थी। गेंद को छोड़ने की उनकी समझ भी बेहतरीन रही। कुल मिलाकर, उनका शॉट सिलेक्शन बहुत सटीक और शानदार रहा।”

तेंदुलकर ने मोहम्मद सिराज को “अविश्वसनीय” बताया, जिन्होंने सीरीज के आखिरी टेस्ट में भारत को जीत दिलाई और कुल 23 विकेट लिए।

“अविश्वसनीय। शानदार अप्रोच। मुझे उनकी एटीट्यूड बहुत पसंद है,” तेंदुलकर ने कहा।

“मुझे उनके पैरों में जो उछाल है, वो बहुत अच्छा लगता है। अगर आप सिर्फ उनके हावभाव देखें और स्कोरबोर्ड न देखें, तो आप यह नहीं समझ पाएंगे कि उन्होंने पांच विकेट लिए हैं या कोई विकेट नहीं मिला – उनकी बॉडी लैंग्वेज हमेशा एक जैसी होती है।”

तेंदुलकर ने कहा कि सिराज का आक्रामक रवैया किसी भी बल्लेबाज़ को असहज कर सकता है।

“अगर एक तेज गेंदबाज़ लगातार इस तरह आपके सामने खड़ा रहे, तो कोई बल्लेबाज़ उसे पसंद नहीं करता।”

टीम इंडिया की सामूहिक भावना की तारीफ करते हुए, तेंदुलकर ने कहा:

“टीम ने एक यूनिट की तरह प्रदर्शन किया। जब वे पांचवे दिन मैदान पर उतरे, तो हर खिलाड़ी में जोश और फोकस था। जैसा हम कहते हैं, प्लानिंग साफ दिख रही थी। गेंदबाज़ों का रवैया और अनुशासन खास तौर पर बेहतर था।”

हालांकि, उन्होंने ये भी कहा कि चौथे दिन शाम को जो रूट और हैरी ब्रुक की साझेदारी के दौरान टीम में अनुशासन की कमी नज़र आई, जो किसी भी लंबे पार्टनरशिप के दौरान आम बात होती है।

ऋषभ पंत की बल्लेबाज़ी पर, सचिन ने कहा कि उन्हें बार-बार उनकी शॉट सिलेक्शन के लिए जज नहीं किया जाना चाहिए।

“उन्होंने प्रभावशाली पारियां खेलना सीख लिया है। उन्होंने अपना खेल समझ लिया है। कई बार लोग सोचते हैं कि उन्हें वो शॉट नहीं खेलना चाहिए था, लेकिन ऋषभ जैसे खिलाड़ी को थोड़ी छूट मिलनी चाहिए,” तेंदुलकर ने कहा।

“मैं यह नहीं कह रहा कि जब मैच बचाना हो तब भी वो आक्रमण करें – उस समय उनका रवैया अलग होना चाहिए। लेकिन पहली, दूसरी, या तीसरी पारी में, या अगर चौथी पारी में भी परिस्थिति अनुकूल हो, तो वो जानता है क्या करना है।”

रवींद्र जडेजा को तेंदुलकर ने “अंडररेटेड प्लेयर” कहा।

“मैं कहूंगा कि वह एक कम आंके गए खिलाड़ी हैं। वो जैसे टीम में योगदान करते हैं, उन्हें उतना क्रेडिट नहीं मिलता। इस सीरीज में बतौर बल्लेबाज़ उन्होंने कमाल का प्रदर्शन किया। और ये पहली बार नहीं, वो अकसर विपक्षी टीम को हिला देते हैं।”

KL राहुल और यशस्वी जायसवाल पर तेंदुलकर का विशेष फोकस रहा।

“जायसवाल ने मुझे अपने माइंडसेट से प्रभावित किया है। वो निडर बल्लेबाज़ हैं और जानते हैं कब तेज़ खेलना है, कब स्ट्राइक रोटेट करनी है और कब नॉन-स्ट्राइकर एंड पर जाना है। ये समझ एक बल्लेबाज़ में होनी ज़रूरी है।”

KL राहुल के बारे में उन्होंने कहा: “शायद ये अब तक की उनकी सबसे बेहतरीन बल्लेबाज़ी में से एक थी। उनका डिफेंस, गेंद को शरीर के पास खेलना और गेंद को छोड़ने की समझ – सब कुछ बेहद ऑर्गनाइज़्ड था। मुझे तो ऐसा लग रहा था कि वो कभी-कभी गेंदबाज़ों को परेशान कर रहे थे!”