
भारतीय बल्लेबाज़ चेतेश्वर पुजारा अपने शानदार टेस्ट करियर को अलविदा कहकर खुश हैं, लेकिन भविष्य में वह कोचिंग की भूमिका निभाने या बीसीसीआई के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में काम करने के लिए तैयार हैं।
सभी तरह के क्रिकेट से संन्यास लेने के कुछ ही दिनों बाद पुजारा ने पीटीआई से बात की। उन्होंने पारंपरिक टेस्ट बल्लेबाज़ी के महत्व पर ज़ोर दिया और साथ ही अपने भविष्य की महत्वाकांक्षाओं की झलक भी दी।
उन्होंने अपने अविश्वसनीय 103 टेस्ट मैचों के करियर पर भी नज़र डाली, जिसमें उन्होंने 7,000 से अधिक रन बनाए, ऑस्ट्रेलिया में सीरीज़ जिताने वाली पारियाँ खेलीं और अपने माता-पिता के योगदान को याद किया।
पुजारा ने कहा: “मुझे ब्रॉडकास्टिंग का काम अच्छा लगा है और मैं इसे ज़रूर जारी रखूँगा। कोचिंग या एनसीए (सेंटर ऑफ एक्सीलेंस) में किसी भी तरह का काम करने के लिए मैं तैयार हूँ।
मैंने अभी तक गंभीरता से इस बारे में नहीं सोचा, लेकिन अगर कोई अवसर आता है तो उस समय निर्णय लूँगा। मैंने पहले भी कहा है कि मैं खेल से जुड़ा रहना चाहूँगा। भारतीय क्रिकेट में जिस भी रूप में योगदान दे सकूँ, मुझे खुशी होगी।”
टेस्ट क्रिकेट और नई पीढ़ी पर विचार
पुजारा ने कहा कि वह बिना किसी अफ़सोस के संन्यास ले रहे हैं। लेकिन उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि आजकल पारंपरिक बल्लेबाज़ी की शैली टेस्ट क्रिकेट में कम होती जा रही है।
उन्होंने कहा: “मुझे दुख नहीं है। मैं अब भी मानता हूँ कि मौजूदा दौर में क्लासिकल टेस्ट बल्लेबाज़ के लिए जगह है। लेकिन समय बदल गया है और हमें उसके साथ चलना होगा।
युवा खिलाड़ियों से मैं कहूँगा कि उन्हें तीनों फ़ॉर्मेट खेलने चाहिए, क्योंकि अब व्हाइट-बॉल क्रिकेट ज़्यादा है और उसी के आधार पर टेस्ट टीम में चयन हो रहा है।”
उन्होंने कहा कि आईपीएल या वनडे क्रिकेट में अच्छा प्रदर्शन करने पर खिलाड़ी सीधे टेस्ट टीम में जगह पा रहे हैं। हालाँकि, उन्होंने अभिमन्यु ईश्वरन और करुण नायर जैसे उदाहरण दिए जिन्हें रणजी ट्रॉफी में प्रदर्शन के आधार पर अवसर मिला।
केएल राहुल की मिसाल
पुजारा ने कहा कि केएल राहुल इस समय भारत के बेहतरीन टेस्ट बल्लेबाज़ों में से एक हैं।
“वह तकनीकी रूप से बेहद सही हैं और ओपनिंग करके पूरी टीम के लिए मज़बूत नींव रख रहे हैं। उन्होंने ऑस्ट्रेलिया में अच्छा प्रदर्शन किया और अब अपने स्टार्ट्स को बड़ी पारियों में बदल रहे हैं। उम्मीद है कि वह ऐसे ही जारी रखेंगे।”
भावुक पल और माता-पिता की याद
पुजारा अपनी माँ रीना पुजारा और पिता अरविंद पुजारा (कोच और पूर्व फ़र्स्ट क्लास खिलाड़ी) को याद करते हुए भावुक हो गए।
“मेरे पिताजी का क्रिकेट के प्रति समर्पण हमेशा प्रेरणा रहा। मेरी माँ, जिन्हें मैंने 17 साल की उम्र में कैंसर के कारण खो दिया, उन्होंने मुझे इंसानियत और अच्छे संस्कार सिखाए। मेरी पत्नी पूजा ने भी लिखा है कि किसी खिलाड़ी को सफल बनाने में पूरा समाज योगदान देता है।”
ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड में अनुभव
पुजारा ने ऑस्ट्रेलिया में लगातार दो बार भारत को टेस्ट सीरीज़ जिताने में अहम योगदान दिया। उन्होंने 2018 में तीन शतक लगाए और 2021 में गेंदबाज़ों की गेंदें सहते हुए टीम को मज़बूती दी।
उन्होंने कहा: “2018 भारत की पहली ऑस्ट्रेलिया सीरीज़ जीत थी, जो मेरे लिए गर्व का क्षण है। 2020–21 की सीरीज़ अलग थी क्योंकि हम कोविड के दौर में थे और कई मुश्किलें थीं। इसके बावजूद सीरीज़ जीतना शानदार उपलब्धि थी।”
उन्होंने कहा कि इंग्लैंड उनके लिए सबसे चुनौतीपूर्ण जगह रही।
राहुल द्रविड़ और सचिन से सीख
अपने डेब्यू के दिनों को याद करते हुए पुजारा ने कहा: “जब ड्रेसिंग रूम में इतने सीनियर खिलाड़ी होते हैं तो आप उनसे बातें करके सीखते हैं। मैंने राहुल द्रविड़ और सचिन तेंदुलकर जैसे खिलाड़ियों से सवाल पूछे और उनसे बेहतरीन सुझाव मिले, जिन्होंने विदेशों में मेरी बल्लेबाज़ी को निखारा।”