बीसीसीआई ने टीम इंडिया टाइटल स्पॉन्सरशिप के लिए बोली खोली, गेमिंग और क्रिप्टो कंपनियाँ बैन!

फैंटेसी स्पोर्ट्स दिग्गज ड्रीम11 के हटने और वास्तविक पैसे से जुड़े जुए व क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े संगठनों पर सरकार द्वारा प्रतिबंध लगाए जाने के बाद, भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) ने मंगलवार को भारतीय क्रिकेट टीम की टाइटल स्पॉन्सरशिप अधिकारों के लिए बोली आमंत्रित की।

ऑनलाइन गेमिंग (प्रमोशन और रेग्युलेशन) अधिनियम 2025 के तहत कहा गया है कि “कोई भी व्यक्ति किसी भी प्रकार की ऑनलाइन मनी गेमिंग सेवाएं प्रदान, सहायता, प्रेरित या प्रोत्साहित नहीं करेगा और न ही किसी ऐसे विज्ञापन में शामिल होगा जो सीधे या परोक्ष रूप से किसी व्यक्ति को ऑनलाइन मनी गेम खेलने को बढ़ावा दे।” इसी कानून के चलते ड्रीम11 ने हाल ही में अपनी मनी गेमिंग सेवाएं बंद कर दीं।

ड्रीम11 और माय11सर्कल ने मिलकर बीसीसीआई को भारतीय क्रिकेट टीम और आईपीएल की टाइटल स्पॉन्सरशिप के लिए लगभग 1,000 करोड़ रुपये दिए थे।

बीसीसीआई की प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार –

“बोलीदाता और उसकी समूह कंपनियाँ:

  1. भारत या दुनिया में कहीं भी ऑनलाइन मनी गेमिंग, बेटिंग या जुआ सेवाओं में शामिल नहीं होनी चाहिए।
  2. भारत में किसी को ऐसी सेवाएँ प्रदान नहीं करनी चाहिए।
  3. ऐसी कंपनियों में कोई निवेश या स्वामित्व हित नहीं होना चाहिए जो भारत में जुआ सेवाओं में लगी हों।”

IEOI खरीदने की आख़िरी तारीख 12 सितंबर है और बोली दस्तावेज़ जमा करने की अंतिम तिथि 16 सितंबर है।

बीसीसीआई ने साफ़ कहा – कोई भी कंपनी, जो उपरोक्त अधिनियम 2025 के तहत प्रतिबंधित गतिविधियों/व्यवसायों में शामिल है, वह बोली नहीं लगा सकती।

तंबाकू, शराब और जन-नैतिकता को आहत करने वाले व्यवसाय (जैसे अश्लील सामग्री) भी आवेदन से बाहर रहेंगे।

कुछ ब्रांड कैटेगरी “ब्लॉक” होंगी क्योंकि उन कैटेगरी में बीसीसीआई के पहले से प्रायोजक मौजूद हैं।

इनमें शामिल हैं:

स्पोर्ट्सवियर और एथलीजर

बैंक, वित्तीय सेवाएँ और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ

नॉन-अल्कोहलिक कोल्ड ड्रिंक्स

पंखे, सेफ़्टी लॉक और मिक्सर ग्राइंडर

इंश्योरेंस कंपनियाँ

वर्तमान में एडिडास, कैंपा कोला, आईडीएफसी फर्स्ट बैंक और एसबीआई लाइफ़ इन कैटेगरी से जुड़े बीसीसीआई के स्पॉन्सर हैं।

बीसीसीआई ने यह भी कहा – “बोलीदाता जो कई ब्रांड/उत्पाद कैटेगरी में काम करते हैं, और जिनमें से कोई एक ब्लॉक्ड या प्रतिबंधित कैटेगरी में आती है, वे बोली नहीं लगा सकते।

सरोगेट ब्रांडिंग (किसी और कंपनी के लिए परोक्ष रूप से बोली लगाना) भी सख़्त वर्जित है।”

वित्तीय योग्यता:

बोली लगाने वालों की पिछले तीन सालों में औसत नेटवर्थ या औसत टर्नओवर कम से कम ₹300 करोड़ होना चाहिए।

बीसीसीआई ने कहा कि वह किसी भी समय बिना कारण बताए IEOI प्रक्रिया को रोकने या बदलने का अधिकार रखता है।

ड्रीम11 ने 2023 से 2026 तक के लिए लगभग ₹358 करोड़ (44 मिलियन डॉलर) में अधिकार ख़रीदे थे। अब वे अनुबंध ख़त्म होने से एक साल पहले ही बाहर हो रहे हैं, लेकिन उन पर कोई जुर्माना नहीं लगेगा।

बीसीसीआई अधिकारी के मुताबिक़ – “हम अपने प्रायोजक की स्थिति को समझते हैं। यह उनकी गलती नहीं है और चूँकि यह सरकारी नियम है, इसलिए इस मामले में उन पर कोई जुर्माना नहीं लगाया जाएगा। मौजूदा हालात में उनका कारोबार प्रभावित होगा और उन्हें नियमों का पालन करना ही होगा।”