
एक प्रतिभा से भरपूर भारतीय टीम रविवार को दुबई में अपने चिर-प्रतिद्वंदी पाकिस्तान के खिलाफ एशिया कप मुकाबले में प्रबल दावेदार के रूप में उतरेगी — हालांकि हाल के महीनों में बढ़ते सीमा तनाव के बावजूद इस बार यह मैच आश्चर्यजनक रूप से कम प्रचार पा रहा है।
चार महीने बाद भारत में होने वाले टी20 वर्ल्ड कप को देखते हुए मैच का महत्व कम नहीं है, लेकिन कई सालों में पहली बार भारत-पाकिस्तान का रविवार का मैच उस ऊँचे सुर वाले माहौल से वंचित है जो आमतौर पर इस क्षेत्र के मुकाबलों में देखने को मिलता है।
भारतीय एकादश में शुभमन गिल, सूर्यकुमार यादव, अभिषेक शर्मा जैसे बल्लेबाज़, जसप्रीत बुमराह जैसा तेज़ गेंदबाज़ और वरुण चक्रवर्ती व कुलदीप यादव जैसे स्पिनर शामिल हैं। कागज़ पर यह टीम पाकिस्तान से कहीं ज्यादा मज़बूत दिखती है, जो अभी नए कप्तान सलमान अली आगा के नेतृत्व में खुद को ढालने की कोशिश कर रही है।
हालांकि इस भारतीय टीम के खिलाफ उलटफेर की संभावना बेहद कम है, लेकिन टी20 फॉर्मेट की अनिश्चितता के चलते कुछ भी हो सकता है।
पाकिस्तान के ओपनर सैम अय्यूब, मिडिल-ऑर्डर बल्लेबाज़ हसन नवाज़ और तीन स्पिनर — मोहम्मद नवाज़, सुफयान मुक़ीम और अबरार अहमद — एक नई टीम में छाप छोड़ना चाहेंगे जिसने बाबर आज़म और मोहम्मद रिज़वान पर निर्भरता छोड़ दी है।
दोनों देशों के बीच रिश्तों में ताज़ा गिरावट पहलगाम, जम्मू-कश्मीर के आतंकी हमले से शुरू हुई, जिसमें 26 पर्यटकों की जान गई। उसके बाद की सैन्य कार्रवाई और जनाक्रोश ने इस बड़े मुकाबले की तैयारियों को अपेक्षाकृत फीका बना दिया।
स्टेडियम के हज़ारों टिकट अभी भी बिकने बाकी हैं और शुक्रवार को भारत के अभ्यास सत्र में भीड़ कम रही। यही कारण है कि इस मैच के आसपास वैसा जश्न का माहौल नहीं दिख रहा।
कितने बीसीसीआई अधिकारी रविवार को पहुँचेंगे, यह भी साफ नहीं है क्योंकि सोशल मीडिया पर भारतीय बहिष्कार की माँगें उठ रही हैं।
बहुराष्ट्रीय टूर्नामेंट में भारतीय टीम को पाकिस्तान से खेलने की अनुमति है, लेकिन द्विपक्षीय स्तर पर नहीं। दोनों देशों के अधिकारी भी राजनीति से जुड़े सवालों को टालते दिखे।
आमतौर पर भारत-पाक मैच भारतीय बल्लेबाज़ों और पाकिस्तानी तेज़ गेंदबाज़ों की भिड़ंत पर टिका होता है। मगर इस बार स्पिनर अहम रहेंगे क्योंकि दोनों टीमों में सिर्फ जसप्रीत बुमराह और शाहीन शाह अफरीदी ही स्पेशलिस्ट पेसर हैं।
पिच पर खास घुमाव नहीं है, फिर भी दोनों ओर एक दाएँ हाथ का और एक बाएँ हाथ का रिस्ट स्पिनर दिलचस्प सबप्लॉट बनाएगा। हालांकि सुफयान मुक़ीम अच्छे गेंदबाज़ हैं, लेकिन कुलदीप यादव की गुगली के सामने उनका अनुभव फीका पड़ सकता है।
अबरार अहमद की अनोखी सेलिब्रेशन स्टाइल और लेग ब्रेक ने उन्हें पाकिस्तान में लोकप्रिय बनाया है, लेकिन वरुण चक्रवर्ती का रहस्यमयी अंदाज़ पाकिस्तानी बल्लेबाज़ों को खासकर सैम अय्यूब और साहिबज़ादा फ़रहान जैसे युवा खिलाड़ियों को उलझा सकता है।
भारत के कम आंके गए लेकिन बेहद मूल्यवान खिलाड़ी अक्षर पटेल, मोहम्मद नवाज़ से कहीं बेहतर हैं। वहीं ऑलराउंडर के तौर पर हार्दिक पंड्या की अहमियत फ़हीम अशरफ़ से कहीं ज़्यादा है।
अगर पाकिस्तान का कोई गेंदबाज़ भारत के लिए चिंता का विषय है तो वह शाहीन अफरीदी हैं, जिनकी इस मैदान से 2021 की यादें जुड़ी हैं जब उन्होंने राहुल, रोहित और कोहली को झटपट आउट कर दिया था। हालांकि घुटने की सर्जरी के बाद उनकी गेंद में वह पुराना स्विंग और मूवमेंट नहीं दिख रहा।
भारत के लिए बल्लेबाज़ी क्रम तय करना अहम होगा। संजू सैमसन और शिवम दुबे की भूमिका पर सबकी नज़रें रहेंगी।
शोर भले कम हो, दाँव अभी भी ऊँचे हैं। क्योंकि जब भारत और पाकिस्तान मैदान में उतरते हैं, तब दुनिया ठहरकर देखती है — चाहे माहौल में हाइप हो या न हो।