
इंग्लैंड दौरे पर यादगार प्रदर्शन करते हुए एजबेस्टन टेस्ट में 10 विकेट लेने वाले आकाश दीप को आख़िरी टेस्ट (ओवल) में लगी चोट से उबरने के लिए आराम की ज़रूरत थी। इसी चोट की वजह से उन्हें दलीप ट्रॉफी से बाहर रहना पड़ा।
बंगाल के इस तेज़ गेंदबाज़ की चोट अब ठीक हो चुकी है और वह रविवार से नेट्स में वापसी करेंगे। उनका लक्ष्य वेस्टइंडीज़ के खिलाफ होने वाली टेस्ट सीरीज़ से पहले अपनी लय पाना है, जिसके लिए अगर वह फिट हुए तो पक्के तौर पर टीम का हिस्सा होंगे।
आकाश दीप ने कहा – “कोई बड़ी चोट नहीं थी, बस एक इम्पैक्ट था। मैं कल से गेंदबाज़ी शुरू कर दूँगा। शरीर अच्छा लग रहा है। पिछले छह महीने से लगातार खेल रहा था, इसलिए थोड़ा आराम चाहिए था।”
वह कोलकाता में क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ़ बंगाल के सालाना कार्यक्रम में पूर्व भारतीय कप्तान सौरव गांगुली से सम्मानित हुए।
उन्होंने आगे कहा – “जब आप इंग्लैंड या ऑस्ट्रेलिया जाते हो, तो पाँच मैच खेलना मुश्किल होता है। आपको मानसिक और शारीरिक तौर पर मज़बूत होना पड़ता है।”
इंग्लैंड में खेले तीन टेस्ट मैचों में आकाश दीप ने 109.1 ओवर डाले और 13 विकेट झटके, जिसमें बर्मिंघम टेस्ट की 10 विकेट वाली परफ़ॉर्मेंस शामिल रही। वहीं ओवल टेस्ट में उनका 66 रन का योगदान भी क़ीमती साबित हुआ।
वर्कलोड मैनेजमेंट पर पूछे गए सवाल पर उन्होंने सीधा जवाब देने से बचते हुए कहा – “ये मेरे हाथ में नहीं है। ये टीम स्टाफ और फ़िज़ियो पर निर्भर करता है। वे एक प्रक्रिया फ़ॉलो करते हैं और उसी हिसाब से मैनेज करते हैं।”
जसप्रीत बुमराह को सिर्फ़ पाँच में से तीन टेस्ट खिलाने के फैसले पर भी उन्होंने चुप्पी साध ली और कहा – “ये टीम गेम है। हम टीम का हिस्सा हैं। किसे खेलना है या नहीं, इस बारे में नहीं सोचते। जो भी खेलता है, उसका मक़सद मैच जीतना होता है।”
इंग्लैंड के खिलाफ आख़िरी टेस्ट में शानदार बल्लेबाज़ी के बावजूद आकाश दीप खुद को ऑलराउंडर कहलाना पसंद नहीं करते।
“अगर टीम को मेरी बल्लेबाज़ी की ज़रूरत होगी, तो मैं बैटिंग करूँगा। मेरा सपना है कि मैं अपना बेस्ट वर्ज़न लाऊँ और फ़ॉर्मेट्स में खेल सकूँ। लेकिन मैं सेलेक्टर नहीं हूँ।
ओवल टेस्ट की दूसरी पारी में मेरा 66 रन का योगदान अहम था, लेकिन एक गेंदबाज़ के तौर पर मैं हमेशा गेंदबाज़ी से ही मैच जीतना चाहूँगा।”
ससाराम (बिहार) के रहने वाले आकाश दीप ने अपनी 10 विकेट वाली परफ़ॉर्मेंस पर कहा – “मैंने कभी नहीं सोचा था कि 10 विकेट लूँगा। बस अपने एरिया में गेंदबाज़ी करनी थी और डिसिप्लिन पर टिके रहना था। कुछ दिन रिज़ल्ट मिलते हैं, कुछ दिन नहीं। उस दिन मेरा दिन था।
लेकिन सबसे बड़ी बात ये थी कि मेरे 10 विकेट लेने के बाद टीम ने मैच जीता – वही सबसे बड़ी उपलब्धि रही।”